सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का लौह पुरुष क्यों कहा जाता है? Why Is Sardar Vallabhbhai Patel Called The Iron Man Of India| The NK Lekh
सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का लौह पुरुष क्यों कहा जाता है?
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| सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का लौह पुरुष क्यों कहा जाता है? The NK Lekh |
सरदार वल्लभ भाई पटेल को "लौह पुरुष" (Iron Man) का खिताब उनके अटूट संकल्प, दृढ़ नेतृत्व और भारत को एकीकृत करने के ऐतिहासिक कार्यों के लिए दिया गया है। यह उपाधि उनकी शक्तिशाली इच्छाशक्ति, निर्णायक कार्यों और राष्ट्रीय एकता के प्रति अडिग प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनकी स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका और स्वतंत्रता के बाद भारत को एकजुट करने के महत्वपूर्ण योगदान ने उन्हें यह सम्मानजनक पदवी दिलवाई है।
1. बारदोली सत्याग्रह (1928) - सरदार की उपाधि का कारण पटेल को "सरदार" की उपाधि महात्मा गांधी ने 1928 में बारदोली सत्याग्रह के दौरान दी। यह आंदोलन गुजरात के सूरत जिले में किसानों द्वारा अत्यधिक कराधान के खिलाफ एक ऐतिहासिक किसान आंदोलन था।
आंदोलन की पृष्ठभूमि:
👉1926-28 के दौरान, बंबई प्रेसीडेंसी की सरकार ने किसानों पर भूमि राजस्व में 30% की वृद्धि करने का निर्णय लिया।
👉किसानों से 22% अतिरिक्त कर लगाया गया, जो उस समय के लिए अत्यंत भारी था।
👉किसानों के लिए अपना जीवन-यापन करना मुश्किल हो गया था।
बारदोली सत्याग्रह की सफलता:
👉12 फरवरी 1928 को आंदोलन शुरू हुआ और अगस्त तक सफलतापूर्वक समाप्त हुआ।
👉सरदार पटेल ने 137 गांवों के किसानों को संगठित किया।
👉उन्होंने किसानों को पूर्ण अहिंसा का पालन करने का निर्देश दियासरदार ने बारदोली को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया और प्रत्येक क्षेत्र में नेताओं और स्वयंसेवकों को नियुक्त किया।
👉इस सफल आंदोलन से कर में कमी आई और किसानों को न्याय मिला।
यह जीत पटेल को स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक बना गई और उन्हें सरदार (नेता) की उपाधि दी गई।
2. भारत के 565 रियासतों का एकीकरण - लौह पुरुष का सबसे बड़ा काम
पटेल को "लौह पुरुष" का खिताब मुख्यतः भारत की 565 से अधिक रियासतों (Princely States) को भारतीय संघ में एकीकृत करने के लिए दिया गया है। यह पूरे विश्व इतिहास में सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धियों में से एक माना जाता है।
समस्या की गंभीरता:
स्वतंत्रता के समय (1947), भारत में 560 से अधिक स्वायत्त रियासतें थीं।
*प्रत्येक रियासत के अपने शासक थे जो ब्रिटिश सिंहासन के अधीन थे।
*भारत विभाजन के बाद, ब्रिटेन ने घोषणा की कि ये रियासतें स्वतंत्र रूप से भारत, पाकिस्तान के साथ या स्वतंत्र रहना चुन सकती हैं।
*यह स्थिति भारत के विखंडन (Balkanization) का खतरा बन गई थी।
पटेल की राजनीतिक कुशलता:
सरदार पटेल ने कूटनीति, दृढ़ता, दूरदर्शिता और प्रेरणा का मिश्रण प्रयोग करके लगभग सभी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण उपकरण और नीतियां अपनाईं:
एकीकरण की रणनीतियां: विलय पत्र (Instrument of Accession): पटेल और उनके सचिव वी.पी. मेनन ने एक कानूनी दस्तावेज बनाया जो रियासतों को तीन प्रमुख क्षेत्रों में नियंत्रण देता था—रक्षा, विदेश नीति और संचार।
कूटनीति और वार्ता: पटेल ने व्यक्तिगत रूप से पूरे भारत की सुदूर और सीमावर्ती क्षेत्रों की रियासतों के शासकों से मिलकर वार्ता की।
प्रोत्साहन और मुआवजा: पटेल ने शासकों को प्रिवी पर्स (Privy Purses) और अन्य आर्थिक लाभ प्रदान किए।
आवश्यकता पड़ने पर सैन्य कार्रवाई: जहां राजनीतिक समाधान संभव नहीं था, वहां पटेल ने सैन्य बल का प्रयोग किया।
कठिन रियासतों का एकीकरण:
हैदराबाद:
*निजाम शासित सबसे बड़ी और समृद्ध रियासत।
*पटेल ने राजनीतिक वार्ता और सैन्य कार्रवाई दोनों का प्रयोग किया।
*अंततः हैदराबाद को भारतीय संघ में शामिल किया गया।
जूनागढ़:
*नवाब-शासित रियासत जो पाकिस्तान में शामिल होना चाहती थी।
*पटेल ने राजनीतिक वार्ता, नाकाबंदी और जनता की भावना का प्रयोग करके इसे एकीकृत किया।
*यह उपलब्धि पटेल की अपरिहार्य प्रतिबद्धता और राष्ट्रीय एकता के प्रति दृढ़ सकल्प को दर्शाती है, जिस कारण उन्हें "लौह पुरुष" (Iron Man) का नाम दिया गया।
3. भारत के "स्टील फ्रेम" का निर्माण - लौह पुरुष की प्रशासनिक विरासत
भारत के स्वतंत्रता के बाद, सरदार पटेल भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री बने। उन्होंने भारत की प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services) की स्थापना की।
पटेल की दृष्टि:
•पटेल ने सिविल सेवा को भारत का "स्टील फ्रेम" (Steel Frame) कहा, जो सुशासन की नींव है।
•उन्होंने 21 अप्रैल 1947 को दिल्ली के मेटकॉफ हाउस में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को संबोधित किया।
•पटेल ने कहा कि सिविल सेवकों को आम जनता के साथ जुड़ना चाहिए: "Your predecessors were brought up in traditions which kept them aloof from the common run of the people. It will be your bounden duty to treat the common man as your own."
महत्वपूर्ण योगदान:
•भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की स्थापना।
•अक्टूबर 1945 में कांग्रेस के मुख्य मंत्रियों का सम्मेलन बुलाया गया जहां इन सेवाओं की स्थापना को अनुमति दी गई।
•पटेल को "भारत के सिविल सेवकों का संरक्षक संत" (Patron Saint of India's Civil Servants) के रूप में याद किया जाता है।
4. विभाजन के बाद शरणार्थियों की सहायता
पटेल का समर्पण और शक्ति भारत विभाजन के बाद भी दिखा। उन्होंने साम्प्रदायिक हिंसा के बीच शरणार्थियों की सहायता और मानवीय राहत प्रदान की।
•पंजाब और दिल्ली में विस्थापितों के लिए राहत प्रयास किए।
•साम्प्रदायिक सद्भावना को पुनः स्थापित करने के लिए विभिन्न धर्मों के नेताओं के साथ समन्वय किया।
•मृत्यु दर को कम करने के लिए सेना और पुलिस को नियोजित किया।
5. सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण
पटेल भारतीय संस्कृति और विरासत के भी संरक्षक थे। उन्होंने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण को मंजूरी दी।
*1947 को जूनागढ़ को लिबरेट करने के बाद, पटेल ने मंदिर के पास समुद्र का पानी अपने हाथ में लिया और कहा कि मंदिर को अपना पूर्व गौरव लौटाया जाएगा
*यह पटेल की भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
6. पटेल की मृत्यु और विरासत
सरदार वल्लभ भाई पटेल की 15 दिसंबर 1950 को बंबई के बिड़ला हाउस में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। वह स्वतंत्र भारत के प्रथम तीन दशकों में भारत का नेतृत्व करने वाले तीन प्रमुख नेताओं में से एक थे।
सम्मान और विरासत:
*1991 में उन्हें भारत रत्न (भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान) से सम्मानित किया गया।
*31 अक्टूबर को उनका जन्मदिन राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है।
*2018 में गुजरात के नर्मदा के किनारे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) का निर्माण किया गया, जो 182 मीटर ऊंचा विश्व का सबसे ऊंचा प्रतिमा है।
निष्कर्ष
सरदार वल्लभ भाई पटेल को "लौह पुरुष" का खिताब इसलिए दिया गया है क्योंकि:
1. बारदोली सत्याग्रह (1928) में उन्होंने असाधारण नेतृत्व प्रदर्शित किया।
2. भारत की 565 रियासतों का एकीकरण उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि है, जिससे भारत के विखंडन से बचाया गया।
3. भारतीय सिविल सेवाओं की स्थापना करके भारत को "स्टील फ्रेम" प्रदान किया।
4. विभाजन के दौरान साम्प्रदायिक सद्भावना और राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
5. उनकी अटूट प्रतिबद्धता, दृढ़ निर्णय और राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पण उन्हें सचमुच एक "लौह पुरुष" बनाता है।
उनका जीवन भारतीय इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय है, जहां एक व्यक्ति के दृढ़ संकल्प ने पूरे राष्ट्र को एकीकृत किया।

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