Sanjay Murmu: A CISF Braveheart who laid down his life protecting our country | Life Story | The NK Lekh
"13 अगस्त को शहीद जवान संजय मुर्मू ने अपनी पत्नी और परिवार से आखिरी बार फोन पर बात की थी। परिवार को उस समय बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि यह उनकी अंतिम बातचीत होगी। 16 अगस्त की रात, जवान के परिवार को यह दुखद सूचना मिली कि संजय अब इस दुनिया में नहीं रहे।"
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Sanjay Murmu: A CISF Braveheart who laid down his life protecting our country. |
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि:
संजय कुमार मुर्मू (29 वर्ष) झारखंड के गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड के धर्मपुर गांव के निवासी थे। वे किशोर मुर्मू के पुत्र थे और 14 अगस्त 2025 को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने की त्रासदी में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए शहीद हुए। उनके परिवार में पिता केशर (किशोर) मुर्मू, माता सोनिया देवी और पत्नी चंपा हांसदा शामिल हैं, जो उनके निधन से गहरे सदमे में हैं। बिरनी का यह क्षेत्र कभी उग्रवाद से प्रभावित रहा है, फिर भी संजय ने गृह-परिवार की सीमित संसाधनों को पार करके उच्च शिक्षा प्राप्त की और कर्तव्य पथ पर अग्रसर हुआ।
CISF में चयन और तैयारी:
संजय ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सीआईएसएफ में शामिल होने का निर्णय लिया। उन्होंने 1 जुलाई 2020 को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में चयनित होकर अपना प्रशिक्षण शुरू किया। इसके बाद उन्हें पारादीप (ओडिशा) में स्थित CISF के PRA यूनिट में तैनात किया गया। सख्त प्रशिक्षण और अनुशासन के बाद, संजय को जम्मू-कश्मीर में विशेष दायित्व निभाने के लिए चुना गया।
CISF में सेवा और योगदान:
सीआईएसएफ में संजय की तैनाती पारादीप यूनिट (PRA) में हुई। हाल ही में उन्हें मचै़ल माता मंदिर चिशोटी गांव (किश्तवाड़, J&K) में 535वीं कंपनी में टेम्पररी ड्यूटी पर भेजा गया था। यह मचै़ल माता मंदिर समुद्र तल से लगभग 9,500 फीट की ऊंचाई पर बर्फीले पर्वतों में बसा एक कठिन एवं दुर्गम वातावरण वाला क्षेत्र है। संजय वहां श्रद्धालुओं की सुरक्षा और राहत कार्यों में लगा हुआ था। परिवारजन बताते हैं कि संजय अत्यंत शांत और कर्तव्यनिष्ठ स्वभाव का जवान था।
किश्तवाड़ बादल फटने में शहादत:
14 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 12:30 बजे किश्तवाड़ जिले के मचै़ल माता मंदिर के पास अचानक भयंकर बादल फटने की घटना हुई। उस समय हजारों श्रद्धालु मचै़ल माता यात्रा के लिए यहां इकट्ठा थे। अचानक आई तेज बाढ़ ने मंदिर के बाहर बनाए गए आंगन और तम्बुओं को तहस-नहस कर दिया। इस आपदा में CISF के रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे वीर सपूत जवान संजय कुमार मुर्मू सहित चार अन्य सीआईएसएफ जवान शहीद हो गए। संजय ने अपने सर्वोच्च कर्तव्य का पालन करते हुए इस भयंकर आपदा में प्राण न्यौछावर कर दिया।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई:
संजय के पार्थिव शरीर को शीघ्र ही रांची लाया गया और वहां से उनके पैतृक गांव धरमपुर ले जाया गया। उनके अंतिम संस्कार के अवसर पर सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी और जवान उपस्थित थे। सोमवार को ग्राम धरमपुर में उनके सैन्य सम्मान के साथ विदाई की गई। इस दौरान सशस्त्र बलों की सलामी, पुष्पांजलि और मातम के उच्च स्वर संजय के अदम्य साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे।
परिवार और समाज की प्रतिक्रिया:
संजय की शहादत की खबर मिलते ही उनके गृह-ग्राम और पूरे गिरिडीह जिले में शोक की लहर दौड़ गई। शोक संतप्त परिजनों से मिलने स्थानीय विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारी पहुंचे और संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि संजय की शहादत हम सबके लिए गौरव का विषय है और इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। गांव के बुजुर्गों और ग्रामीणों ने कहते हुए दुख व्यक्त किया, “धर्मपुर ने अपने वीर सपूत को खो दिया है, लेकिन उनकी शहादत आने वाली पीढ़ियों के लिए देशसेवा की प्रेरणा बनकर रहेगी”। उनके सम्मान में पूरे क्षेत्र में मातम छाया रहा।
प्रेरणादायक संदेश:
संजय कुमार मुर्मू की वीरगति हम सभी को देशभक्ति, निष्ठा और कर्त्तव्यपरायणता का संदेश देती है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने वतन की सेवा को सर्वोपरि रखा। उनकी आत्म-बलिदान ने हमें याद दिलाया है कि राष्ट्र की रक्षा के लिए आम जीवन की सुख-सुविधाओं को भी त्याग दिया जा सकता है। उनकी अदम्य हिम्मत और पराक्रम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
शहीद CISF जवान संजय कुमार मुर्मू को भावपूर्ण श्रद्धांजलि। उनका बलिदान और साहस सदैव अमर रहेगा। ईश्वर उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति से उबरने की शक्ति दे और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। जय हिंद!
Thanks
The NK Lekh
(Neeraj Vishwakarma)
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