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The NK Lekh | Neeraj Vishwakarma |
*निगाहें
न ये देखता तुम्हें, न शुरू होती ये प्रेम कहानी
ये निगाहें ही इश्क के बुनियाद की जड़ है
न ये तुम्हें निहारता न दिल को मिलता पैगाम
ये निगाहें ही इस फरियाद की जड़ है
न ये रातों को जगाता, न होता ये पागलपन
ये निगाहें ही सारे उन्माद की जड़ है
न जमाने की नजर में आता, न होता दरकिनार
ये निगाहें ही सारे फसाद की जड़ है
न तुम आँखों में बसते, न बहते इससे आंसू
ये निगाहें ही सारे अवसाद की जड़ है
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