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क्यों होता है चंद्रग्रहण? The Lunar Eclipse | The NK Lekh

 क्यों होता है चंद्रग्रहण? The Lunar Eclipse | The NK Lekh 


चंद्रग्रहण क्यों लगता है। वैज्ञानिक कारण और इतिहास | The NK Lekh
The Lunar Eclipse। The NK Lekh 


चंद्रगहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है जो तब होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इस प्रक्रिया में, पृथ्वी की छाया चंद्रमा की सतह पर पड़ती है, जिससे चंद्रमा हमें दिखाई देना बंद हो जाता है या उसका रंग बदल जाता है। यह एक ऐसा दृश्य है जो सदियों से इंसानों को आकर्षित करता रहा है और जिसे लेकर कई तरह के मिथक और वैज्ञानिक तथ्य प्रचलित हैं।


चंद्रग्रहण के प्रकार:

चंद्रगहण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं, और हर प्रकार का अपना एक विशेष वैज्ञानिक कारण है:

1. पूर्ण चंद्रगहण (Total Lunar Eclipse):

यह सबसे साधारण और शानदार प्रकार का चंद्रगहण है। यह तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की प्रच्छाया (Umbra), यानी सबसे गहरी और सबसे अंधेरी छाया में प्रवेश कर जाता है। इस स्थिति में, सूर्य का प्रकाश सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाता। इस दौरान, चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य होने के बजाय, एक गहरा लाल या नारंगी रंग का दिखाई देता है। इस तरह के चंद्रमा को 'Blood Moon' कहते हैं। 

Total Lunar Eclipse| The NK Lekh
Total Lunar Eclipse| The NK Lekh


2. आंशिक चंद्रगहण (Partial Lunar Eclipse):

यह तब होता है जब पृथ्वी की छाया का केवल कुछ हिस्सा चंद्रमा पर पड़ता है। इस दौरान, चंद्रमा का कुछ हिस्सा अंधेरा हो जाता है जबकि बाकी हिस्सा सामान्य रूप से चमकता रहता है। यह एक सीधी रेखा में पूर्ण संरेखण (alignment) न होने के कारण होता है।

Partial Lunar Eclipse| The NK Lekh
Partial Lunar Eclipse| The NK Lekh


3. उपछाया चंद्रगहण (Penumbral Lunar Eclipse):

यह सबसे कम घटित होने वाला चंद्रग्रहण है। यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया (Penumbra), यानी उसकी हल्की छाया से होकर गुजरता है। इस दौरान, चंद्रमा की चमक थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन यह बदलाव इतना सूक्ष्म होता है कि इसे नग्न आंखों से पहचानना बहुत मुश्किल होता है।

Penumbral Lunar Eclipse| The NK Lekh
Penumbral Lunar Eclipse | The NK Lekh 


मुख्य कारण :

चंद्रगहण के पीछे का मुख्य वैज्ञानिक कारण सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा का एक सीधी रेखा में आना है, जिसे सिज़ीगी (Syzygy) कहते हैं। यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही हो सकती है, क्योंकि इसी दिन चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए सूर्य के विपरीत दिशा में आता है। हालाँकि, हर पूर्णिमा को चंद्रगहण नहीं होता क्योंकि चंद्रमा का कक्षीय तल (orbital plane) पृथ्वी के कक्षीय तल से लगभग 5 डिग्री झुका हुआ है। इस झुकाव के कारण, अधिकतर पूर्णिमा के दिनों में चंद्रमा पृथ्वी की छाया के ऊपर या नीचे से गुजर जाता है।

पृथ्वी की छाया दो हिस्सों में बंटी होती है:

प्रच्छाया (Umbra): यह वह क्षेत्र है जहाँ सूर्य का प्रकाश पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है। यह शंकु के आकार की होती है और इसी में चंद्रमा के प्रवेश करने पर पूर्ण चंद्रगहण होता है।

उपछाया (Penumbra): यह वह क्षेत्र है जहाँ सूर्य का प्रकाश आंशिक रूप से अवरुद्ध होता है। यह प्रच्छाया को घेरती है और इसमें चंद्रमा के प्रवेश करने पर उपछाया चंद्रगहण होता है।

Note: Syzygy (युति-वियुति) –  यह खगोल विज्ञान में एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ तीन खगोलीय पिंड (जैसे सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा) एक सीधी रेखा में आ जाते हैं. यह घटना पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को सूर्य से एक सीधी रेखा में (वियुति) और अमावस्या के दिन सूर्य को पृथ्वी से एक सीधी रेखा में (युति) रखती है।

"ब्लड मून" का रहस्य:

पूर्ण चंद्रगहण के दौरान चंद्रमा के लाल या नारंगी रंग का दिखना एक दिलचस्प वैज्ञानिक घटना है जिसे रेले स्कैटरिंग (Rayleigh Scattering) कहते हैं। यह वही सिद्धांत है जिसके कारण हमें दिन में आकाश नीला और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लाल-नारंगी दिखाई देता है।

पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य के प्रकाश को बिखेर देता है। नीले और बैंगनी रंग की तरंगदैर्ध्य छोटी होती है, इसलिए ये आसानी से बिखर जाते हैं। यही कारण है कि आकाश नीला दिखाई देता है।

इसके विपरीत, लाल और नारंगी रंग की तरंगदैर्ध्य लंबी होती है और ये कम बिखरते हैं। जब पूर्ण चंद्रगहण होता है, तो सूर्य की कुछ किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती हैं। इस प्रक्रिया में, नीला प्रकाश तो बिखर जाता है, लेकिन लाल प्रकाश वायुमंडल से छनकर पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है और चंद्रमा तक पहुँच जाता है।

यह लाल प्रकाश चंद्रमा की सतह से परावर्तित होकर हमारी आँखों तक पहुँचता है, जिससे चंद्रमा हमें गहरा लाल रंग का दिखाई देता है। यह रंग वायुमंडल में मौजूद धूल, बादलों और अन्य कणों की मात्रा पर भी निर्भर करता है।


चंद्रगहण से जुड़े मिथक और वैज्ञानिक तथ्य:

प्राचीन सभ्यताओं में चंद्रगहण को अक्सर एक अशुभ घटना माना जाता था। कई संस्कृतियों में, यह माना जाता था कि कोई दैत्य या राक्षस चंद्रमा को निगल रहा है, और लोग शोर करके उसे भगाने की कोशिश करते थे। हालाँकि, आज हम जानते हैं कि यह एक पूरी तरह से प्राकृतिक और वैज्ञानिक घटना है। यह खगोलविदों को सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की गतियों का अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। चंद्रगहण को नग्न आँखों से देखना पूरी तरह से सुरक्षित है, क्योंकि इसमें सूर्य से कोई सीधी हानिकारक किरणें शामिल नहीं होती हैं।

इस तरह, चंद्रगहण सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह विज्ञान, इतिहास और संस्कृति का एक शानदार मिश्रण है।


धन्यवाद!

The NK Lekh (Neeraj Vishwakarma)

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