कर्मा पर्व : प्रकृति और संस्कृति का अनमोल धरोहर | कर्मा पर्व झारखंड | कर्मा पर्व का महत्व | The NK Lekh
कर्मा
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| झारखंडी कर्मा पूजा है प्रकृति का धरोहर | The NK Lekh |
कर्मा पर्व : प्रकृति और संस्कृति का अनमोल धरोहर
भारत की सांस्कृतिक विविधता में झारखंड का विशेष स्थान है। यहाँ के पर्व-त्योहार केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन, सामूहिकता और प्रकृति-प्रेम के उत्सव भी हैं। इन्हीं में से सबसे प्रमुख और गौरवशाली पर्व है कर्मा पर्व, जिसे प्रकृति और संस्कृति का जीवंत धरोहर कहा जाता है।
कर्मा पर्व का मूल स्वरूप प्रकृति-पूजन है। इस दिन पूजन हेतू ग्रामवासी जंगल से करम वृक्ष की टहनी काटकर लाते हैं। करम वृक्ष को जीवन, हरियाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान अनाज, जल और फल अर्पित किए जाते हैं, जो मनुष्य और प्रकृति के अटूट संबंध को दर्शाते हैं। करम वृक्ष के प्रति यह श्रद्धा हमें यह सिखाती है कि पर्यावरण का सम्मान ही जीवन की निरंतरता का आधार है। वास्तव में यह पर्व जंगलों, हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का संदेश देता है, जो इसे प्रकृति का धरोहर बनाता है।
कर्मा पर्व केवल वृक्ष-पूजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह झारखंड की लोक-संस्कृति और परंपरा का भी अभिन्न हिस्सा है। इस दिन सामूहिक रूप से करमा नृत्य और लोकगीतों का आयोजन होता है। स्त्रियां हाथों में हाथ डालकर गोल घेरा बनाती हैं और मांदर-ढोल की थाप पर खूब झूमती-गाती हैं। इन गीतों में भाई-बहन के रिश्ते, सामाजिक एकता और फसल की खुशी का बखान होता है। यही लोकगीत और नृत्य झारखंड की सांस्कृतिक पहचान को पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुरक्षित रखते हैं।
कर्मा पर्व हमें यह समझाता है कि संस्कृति और प्रकृति दोनों ही हमारे जीवन की जड़ें हैं। प्रकृति हमें जीवन देती है, और संस्कृति हमें उसका आदर करना सिखाती है। करम वृक्ष की पूजा जहाँ पर्यावरण संरक्षण की चेतना जगाती है, वहीं सामूहिक नृत्य-गीत समाज में भाईचारे और परंपराओं के संरक्षण का संदेश देते हैं। इस प्रकार कर्मा पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह प्रकृति और संस्कृति दोनों का जीवंत धरोहर है।
कर्मा पर्व झारखंड की आत्मा है, जो हमें यह सिखाता है कि जीवन की खुशहाली केवल आधुनिकता में नहीं, बल्कि प्रकृति के संरक्षण और संस्कृति की परंपराओं को जीवित रखने में है। यही कारण है कि यह पर्व झारखंड की पहचान को गौरवान्वित करता है और हमें अपनी जड़ों से जोड़कर रखता है।
धन्यवाद!
- The NK Lekh (Neeraj Vishwakarma)

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