Shubhanshu Shukla: Journey From Earth To ISS | धरती से सितारों तक: शुभांशु शुक्ला की तकनीकी और मानवीय यात्रा | The NK Lekh
धरती से सितारों तक: शुभांशु शुक्ला की तकनीकी और मानवीय यात्रा
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Shubhanshu Shukla: Journey To ISS |
कुछ सपने केवल कल्पना नहीं रहे जाते–वे सच हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश के लखनऊ के साधारण परिवार से निकले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पृथ्वी की सतह को पार कर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुँचने का सपना साकार किया। यह यात्रा जितनी तकनीकी थी, उतनी ही मानवीय थी तथा साथ ही एक भारतवासी के लिए गर्व, युवाओं के लिए प्रेरणा, और विज्ञान के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय।
अंतरिक्ष की राह आसान नहीं होती। शुभांशु ने पहले क्रू ड्रैगन कैप्सूल (Crew Dragon C213, Grace) पर नियंत्रण की तैयारी की जो यह कैप्सूल फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा 25 जून 2025 को केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। यह रॉकेट पुन: प्रयोग (reusable) तकनीक पर आधारित था, जिसमें नौ मर्लिन इंजन और LOX-RP1 ईंधन का उपयोग हुआ। यह रॉकेट 7,600 किलो न्यूटन का थ्रस्ट उत्पन्न करता है। कैप्सूल में जीवन-रक्षा प्रणाली, स्वचालित डॉकिंग, अस्थायी नियंत्रण, और सोलर पैनलों द्वारा ऊर्जा की व्यवस्था थी, जिससे यह मिशन सरल और सुरक्षित बनता है।
शुभांशु पायलट के रूप में मिशन के प्रत्येक तकनीकी चरण–लॉन्च, ऑर्बिट में प्रवेश, Docking/Undocking, पुनः प्रवेश और लैंडिंग में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित किए गए। विशेष रूप से, उन्होंने Crew Dragon के मैन्युअल नियंत्रण प्रणालियों का प्रशिक्षण प्राप्त किया ताकि सॉफ़्टवेयर गड़बड़ी की स्थिति में स्वचालित प्रणालियों का विकल्प संभव हो।
26 जून 2025 को, लगभग 26 घंटे बाद, ड्रैगन कैप्सूल ने Harmony मॉड्यूल में डॉक किया। वहां शुभांशु ने 282 कक्षा चक्कर लगाए और लगभग 12 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय की।
उनके मिशन के 7 मुख्य वैज्ञानिक उद्देश्य शामिल थे:
1. Space Microalgae (ICGEB & NIPGR) – माइक्रोग्रैविटी और विकिरण में खाद्य शैवाल की वृद्धि और व्यवहार।
2. Myogenesis (InStem) – माइटोजेनिसिस: मांसपेशियों के पुनरुत्थान और माइटोकॉन्ड्रियल गतिविधि की जाँच।
3. Sprouts (UAS Dharwad & IIT Dharwad) – मूंग और मेथी के बीजों का अंतरिक्ष में अंकुरण, पोषण और आनुवंशिकता का अध्ययन।
4. Voyager Tardigrade (IISc Bengaluru) – टार्डिग्रेड्स का उत्तरजीविता व्यवहार और वृद्धावस्था संबंधी जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन।
5. Voyager Displays (IISc Bengaluru) – इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस एवं संज्ञानात्मक कार्य प्रणाली पर मानव प्रदर्शन विश्लेषण।
6. Cyanobacteria in Microgravity (ICGEB) – यूरेआ और नाइट्रेट आधारित प्रोटिओमिक्स एवं वृद्धि तुलना।
7. Food Crop Seeds (IIST & Kerala Agricultural University) – मृदा की अनुपस्थिति में फसल बीजों पर वृद्धि और उपज संबंधी अध्ययन।
इसके अतिरिक्त, ग्लूकोज़ नियंत्रण पर शोध (Suite Ride), मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण, रेडिएशन मॉनिटरिंग वंत्रसंक्रिय प्रयोग भी किए गए।
ISS पर रहते हुए शुभांशु ने अधिक संज्ञानात्मक, वैज्ञानिक और भावनात्मक क्षण अनुभव किए। जब उन्होंने खिड़की से पृथ्वी को देखा तो मन में जैसे तिरंगा लहरा रहा था। उन्होंने ISRO चेयरमैन से बात की, जहां उन्होंने वर्तमान शोधों का विस्तार से विवरण दिया– जैसे हड्डियों पर माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव आदि।
28 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लाइव इंटरैक्शन हुआ जिसने देशवासियों के दिलों को जोड़ दिया।
13 जुलाई को ISS पर एक फेयरवेल समारोह हुआ। अगले दिन, शुभांशु मिशन समाप्ति और कैप्सूल को व्यवस्थित तरीके से Undock करने के लिए तैयार हुए। उन्होंने 22.5 घंटे लंबी चक्कर उड़ान के बाद कैप्सूल को अटलांटिक में सुरक्षित पहुंचाया जो 15 जुलाई 2025 को सुबह California तट के पास सम्पन्न हुआ और पूरा मिशन सफल रहा।
उनके पास 263 किलोग्राम से अधिक वैज्ञानिक नमूने और उपकरण थे, जिन्हें पृथ्वी पर पहुंचा कर विश्लेषण के लिए भेजा गया।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा केवल एक मिशन नहीं, बल्कि तकनीकी कौशल, वैज्ञानिक गहराई और मानवीय संवेदना का संगम है। इसने भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा और आने वाली पीढ़ी को प्रेरित किया।
धन्यवाद!
The NK Lekh (Neeraj Vishwakarma)
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